मीठी मौत
ओ पुष्प तुम हो प्यार के भूखे..
ये जो भंवरा है ना दिखता इस अँधेरी रात में ..
जो सदा गुंजार करता इस तरंगित वात में..
वो चला आया तुम्हे आनंद की शय्या समझ....
उसका मधुर संगीत है पर तू उसमे ना उलझ..
तू तो उसके प्रेम में है पर मुझे यह कष्ट है...
चूस के रस भ्रमर तेरा कर रहा तुझे नष्ट है......
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